नींद नहीं आई
नींद नहीं आई कल मुझको जागी सारी रात
नींद लुटी कैसे मेरी पछताई सारी रात
सारा जीवन अभी पडा़ है दाँव लगी तरुणाई
बैरी यादें परछाई -सी अब तक भुला न पाई
मेरा तन मन बिलख पडा़ जाने कितना मैं रोई
कोई न था सुध लेने को घबराई सारी रात
कहने को सब मेरे हैं पर मीत नहीं मैं पाई
कहने की बारी है मेरी तनिक न मैं शरमाई
मीठी -मीठी बातों से मैं भी कितना भरमाई
बेदर्दी ने कैसी तड़प दी जागी सारी रात
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