वक्त से पूछ लो
वक्त से पूछ लो क्या तुमने दग़ा दी है मुझे
अब तो लगता है मुकद्दर ने सजा दी है मुझे
दिल के जख्मों पे लगाने को मरहम न मिला
जल्वा नफरत का जमाने ने दिखाया है मुझे
तेरा भी नाम जुड़ा है मेरी बर्बादी से
अब गुमाँ होता है जज्बात ने लूटा है मुझे
काली रातों में छोड़ता है साथ परछाई
दोस्त मिल जाएंगे यकीं आज होता है मुझे
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